
जमीन से जुड़े एक निजी विवाद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (SC/ST Act) के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का मामला सामने आने पर, विशेष अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है, मामले की गंभीरता को देखते हुए, आरोपी को दोषी करार दिया गया है और कठोर सजा सुनाई गई है।
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विकास कुमार नामक व्यक्ति ने जमीन विवाद को आधार बनाकर SC/ST एक्ट के तहत एक झूठी शिकायत दर्ज कराई थी, जांच और सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण थी और इसका उद्देश्य कानून का दुरुपयोग कर निजी रंजिश निकालना था।
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क्या है मामला?
जानकारी के अनुसार, विकास कुमार ने 29 जून 2019 को पीजीआई थाना में जमीन विवाद को लेकर फर्जी एफआईआर दर्ज कराई थी, इस एफआईआर में ओमशंकर यादव, नीतू यादव और अन्य दो लोग आरोपी बनाए गए थे, विवेचना में तत्कालीन सीओ बीनू सिंह ने पाया कि घटना पूरी तरह झूठी थी, किसी भी आरोपी की घटनास्थल पर लोकेशन नहीं मिली और जांच से यह स्पष्ट हुआ कि जमीन के विवाद के कारण एससी/एसटी एक्ट के तहत फर्जी FIR दर्ज कराई गई थी।
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अदालत का फैसला
SC/ST एक्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी की अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर विकास कुमार को फर्जी मुकदमा लिखवाने का दोषी पाया। न्यायाधीश ने अपने फैसले में टिप्पणी की कि इस प्रकार के फर्जी मामलों से वास्तविक पीड़ितों के हितों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और कानून की विश्वसनीयता कम होती है।
अदालत ने दोषी विकास कुमार को पांच वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है, इस फैसले को SC/ST एक्ट के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सख्त कदम माना जा रहा है।

















