
भारत सरकार अब बिजली क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का तेजी से उपयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है, इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम करना और देश में ऊर्जा का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है, इसी दिशा में हाल ही में आयोजित ‘पावर डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर में AI/ML के उपयोग’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में कई बड़े फैसलों और विचारों पर चर्चा हुई।
यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत के बिजली क्षेत्र में दक्षता और उपभोक्ता लाभों को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रही है, आपने जिस राष्ट्रीय सम्मेलन का उल्लेख किया है, वह इस दिशा में हुई प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालता है।
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इस सम्मेलन के प्रमुख बिंदुओं और सरकार के दृष्टिकोण को संक्षेप में यहाँ प्रस्तुत किया गया है:
- प्राथमिक लक्ष्य एआई और एमएल का उपयोग करके बिजली वितरण को अनुकूलित करना है, जिससे सिस्टम की दक्षता में सुधार हो सके और अंततः उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल कम हों।
- इन तकनीकों का उपयोग बिजली की मांग का सटीक पूर्वानुमान लगाने, ग्रिड के संचालन को बेहतर बनाने और बिजली चोरी या नुकसान (technical and commercial losses) को कम करने के लिए किया जा रहा है।
- बिजली क्षेत्र में डेटा विश्लेषण महत्वपूर्ण है। एआई/एमएल उपकरण डेटा पैटर्न का विश्लेषण करके डिस्कॉम (वितरण कंपनियों) को बेहतर और त्वरित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
- बेहतर ग्रिड प्रबंधन और नुकसान में कमी से आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है और दीर्घकालिक रूप से टैरिफ को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
- सम्मेलन में इन प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की रूपरेखा या कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया गया, ताकि पूरे देश में एक समान और समन्वित तरीके से इन्हें लागू किया जा सके।
यह कदम भारत के ऊर्जा परिवर्तन (energy transition) और डिजिटलीकरण के एजेंडा का एक अभिन्न अंग है।
ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव शशांक मिश्रा ने एएनआई (ANI) को बताया कि सरकार निम्नलिखित लक्ष्यों के लिए विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) में एआई-आधारित टूल्स (AI-based tools) के व्यापक उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
- चोरी वाले इलाकों की पहचान: एआई टूल्स की मदद से बिजली चोरी वाले क्षेत्रों का जल्दी और सटीक पता लगाया जा सकेगा।
- अनियमितताओं की पहचान: घरों में दैनिक बिजली खपत, अर्थ लीकेज, या किसी भी अन्य अनियमितता को आसानी से पहचाना जा सकेगा।
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शशांक मिश्रा के अनुसार, इस कदम से दोहरा लाभ होगा:
- ऊर्जा की बचत: बिजली की बर्बादी और नुकसान रुकेगा।
- उपभोक्ताओं को लाभ: उपभोक्ताओं के बिजली बिल कम होंगे।
यह तकनीक वितरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

















