
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने उन कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि (PF) अंशदान की अनिवार्यता को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिनका मासिक वेतन ₹15,000 की वैधानिक सीमा से अधिक है, संगठन ने साफ किया है कि उच्च आय वर्ग वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ सदस्यता अनिवार्य दायरे में नहीं आती है।
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क्या है मौजूदा नियम?
ईपीएफओ नियमों के अनुसार, वर्तमान में केवल उन्हीं कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि योजना (EPF Scheme) में शामिल होना अनिवार्य है, जिनका मूल वेतन (Basic Pay) और महंगाई भत्ता (DA) मिलाकर ₹15,000 प्रति माह तक है।
₹15,000 से ज्यादा सैलरी वालों के लिए स्थिति
जिन कर्मचारियों का वेतन इस सीमा (₹15,000) को पार कर जाता है, वे स्वतः अनिवार्य कवरेज के दायरे से बाहर हो जाते हैं, हालांकि, वे अपनी इच्छा से (स्वैच्छिक आधार पर) ईपीएफ के सदस्य बन सकते हैं।
स्वैच्छिक सदस्यता की प्रक्रिया
यदि कोई उच्च वेतनभोगी कर्मचारी पीएफ का सदस्य बनना चाहता है, तो उसे एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होता है:
- कर्मचारी और नियोक्ता (कंपनी) दोनों को ईपीएफ में योगदान करने के लिए संयुक्त रुप से सहमत होना आवश्यक है।
- इस विकल्प को चुनने के लिए ईपीएफ योजना के ‘पैरा 26(6)’ के तहत आवेदन करना होता है।
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योगदान की गणना पर स्पष्टता
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही कर्मचारी और नियोक्ता उच्च वेतन पर पीएफ काटने के लिए सहमत हों, अनिवार्य पीएफ कटौती की गणना default रुप से ₹15,000 की वैधानिक वेतन सीमा पर ही की जाती है, जब तक कि वे औपचारिक रूप से उच्च योगदान का विकल्प नहीं चुनते।
श्रम मंत्रालय ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रस्तावित नए श्रम संहिताओं (New Labour Codes) के लागू होने के बाद भी, पीएफ कटौती की गणना के लिए यह ₹15,000 की वैधानिक वेतन सीमा ही आधार बनी रहेगी।

















